चतुर्विध तपस्या और चतुर्विध मुक्ति
सर्वांगीण शिक्षा का अनुशीलन करने के लिए–उस शिक्षा का जो हमें अतिमानसिक उपलब्धि की ओर ले जाती है–चार प्रकार की तपस्याओं और चार प्रकार की मुक्तियों की आवश्यकता है।
सर्वांगीण शिक्षा का अनुशीलन करने के लिए–उस शिक्षा का जो हमें अतिमानसिक उपलब्धि की ओर ले जाती है–चार प्रकार की तपस्याओं और चार प्रकार की मुक्तियों की आवश्यकता है।
मैं भी एक छोटा-सा नाटककार हूँ। इस तरह शेक्स्पीयर मेरे गोत्र के थे–यह भावना और भी भाव-विभोर बना रही है।
सौंदर्य, प्रेम और प्रगति के कवि अंचल (रामेश्वर शुक्ल ‘अंचल’) के उपन्यासों में भी साम्यवादी चेतना का प्रकटीकरण है।
वन के मन में’ श्री योगेंद्र नाथ सिन्हा का दूसरा आंचलिक उपन्यास है जो सन् 1962 ई. में प्रकाशित हुआ। पुस्तकाकार छपने के पूर्व यह ‘धर्मयुग’ में धारावाहिक छपा और लोकप्रिय हुआ।
उड़ा श्वेत कलहंस स्नेह का– लेकर याद तुम्हारी। आई याद तुम्हारी।
इस वृत्त की केंद्रस्थ भूमि डोल गई– सारी त्रिज्याएँ उलझ गई हैं ;