औरतें
नमक पर उतारे गए गुस्से से त्रस्त औरतें घर को तरसती घर की इज्जत औरतें अपनी औकात पहचानती घरेलू हिंसा की शिकार औरतें।
नमक पर उतारे गए गुस्से से त्रस्त औरतें घर को तरसती घर की इज्जत औरतें अपनी औकात पहचानती घरेलू हिंसा की शिकार औरतें।
ऐसी कोई बात नहीं कि मैं दुःखी हूँ पर इतनी सुखी भी नहीं कि अपने देश के अपमान का‘जय हो’ करूँ। मैं कॉन्फिडेंट हूँ
अगस्त महीने की यह एक ऐसी सुबह थी जिसकी पूर्व कल्पना किसी ने नहीं की थी। बारिश रुक-रुक कर होती थी या नहीं होती थी। हफ्ते-दस दिनों बाद जोर की वर्षा होती और कॉलोनी का निचला हिस्सा पानी से भर जाता।
आज कल मकान, दुकान और सामान की तरह किराए की कोख भी मिलने लगी है अच्छा है अब तो किस्तों पर माँ की ममता भी बाजार में बिकने लगी है।
मैं इधर तीन-चार दिनों से आपकी ‘सोनामाटी’ में इस प्रकार डूबा था कि सभी कम आवश्यक कार्य मुल्तवी कर दिए थे