कवि इश्रती
सैयद मुहम्मद खाँ इश्रती के पिता युसूफ हुसैनी और पितामह सैयद हुसैन थे। सैयद यूसुफ भाग्य-परीक्षा करते बसरा (मेसोपोतामिया) से दखिन पहुँचे।
सैयद मुहम्मद खाँ इश्रती के पिता युसूफ हुसैनी और पितामह सैयद हुसैन थे। सैयद यूसुफ भाग्य-परीक्षा करते बसरा (मेसोपोतामिया) से दखिन पहुँचे।
एक दिन आनंद की खोज इस जीवन की सबसे बड़ी भूख थी। आज एटम-बम की तलाश इस जीवन का चरम प्रयास है जैसे।
हिंदी काव्य के साथ जो दुर्व्यवहार पिछले वर्षों में हुआ उसका दुष्परिणाम यह निकला कि लोग केशव को भूल से गए और शिक्षाक्रम में हिंदी को स्थान मिला भी तो लोग उनकी बहुछंदी रचना रामचंद्रिका का ही अध्ययन-अध्यापन करते रहे।
मैं जब तीर निकाल रहा था तो पंछी का विशाल सुंदर पंख मेरे सिर पर आ लगा। छाया के अंचल तले विश्वास ने साँस खींची।
एक साप्ताहिक के दफ्तर में एक युवक काम कर रहा है–उसकी वेश-भूषा तथा परेशान-बेहाल चेहरा बता रहे हैं कि गरीब की क्या हालत है ।
मेरी कल्पना प्राचीन इतिहास के उस युग में खो गई, जब सर्वप्रथम पूर्व की ओर से, ईसवी सन् के आरंभ में, सिथियन लोगों ने भारत में प्रवेश किया था।