कोई मसअला हल तो हो

कोई मसअला हल तो हो आज नहीं हाँ कल तो हो जो इंसाफ़ सभी को दे ऐसा राजमहल तो हो तुझमें भटकूँ जीवन भर पहले तू जंगल तो हो

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लुटा कर हर ख़ुशी अपनी तू जिसका साथ पाए है

लुटा कर हर ख़ुशी अपनी तू जिसका साथ पाए है कहाँ दौलत ये हरजाई किसी के साथ जाए है दहेजों के लिए जब लौटकर बारात जाए है

और जानेलुटा कर हर ख़ुशी अपनी तू जिसका साथ पाए है

फूलों-पत्तों ने मिल-जुल कर क्या-क्या साज सजाए हैं

फूलों-पत्तों ने मिल-जुल कर क्या-क्या साज सजाए हैं ये क्या जाने इन पेड़ों ने कितने पत्थर खाए हैं

और जानेफूलों-पत्तों ने मिल-जुल कर क्या-क्या साज सजाए हैं

जिस्म से बिछड़ी हवा यानी हवा में मिल गए

जिस्म से बिछड़ी हवा यानी हवा में मिल गए टूट पुर्जो में जो बेग़ाने हवा में मिल गए

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विश्वास तुम्हीं पर कर पाया

जब जब सम्मुख तम गहराया, मन सदा तुम्हारी शरण गया संघर्षों में, तूफानों में, तुमसे ही मन का मरण गया,

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