दिल्ली का तख्त

गत रात को चुप अकेले में पलंग पर पड़े हुए बादशाह को जिस परी जमाल का स्वर मध्यरात्रि की अभिसारिका के प्रथम चुंबन-सा प्रतीत हुआ था, आज वही स्वर तिक्त नीम-सा अनुभूत हुआ।

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छींक

डॉ. रामकुमार वर्मा एकांकी और कविताओं के लिए प्रसिद्ध हैं। उनके एकांकी कई मानी में अपना विशेष महत्त्व रखते हैं। प्रस्तुत रचना शुद्ध हास्य और सरल व्यंग्य का अच्छा उदाहरण है।

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नाम में क्या धरा है?

नाम में क्या धरा है? जो लोग कलकत्ता में ‘खोट्टा’ बन गए, वही बंबई में जाकर ‘भैया’ कहलाए! ‘मेहतर’ का अर्थ है बड़ा, किंतु समाज ने इन्हें कैसा छोटा बना डाला है! हाँ, नाम में क्या धरा है?

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बाबू साहब का हाथी

बाबू साहब को अपने बेटे के विवाह में एक हाथी मिला था। जब उसका प्रथम शुभागमन उनके दरवाजे पर हुआ था तो गाँव के लोगों की भीड़ इकट्ठी हो गई थी और एक-एक व्यक्ति के कंठ से उसकी प्रशंसा के शब्द निकलने लगे थे।

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हमें यह कहना है!

गया में बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन का इक्कीसवाँ अधिवेशन सानंद समाप्त हुआ। प्रांत के, प्रांत के बाहर के भी, साहित्यिक जुटे–भाषण हुए, कविता हुई, अभिनय हुआ।

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