द्विज जार परंपरा या नव मनुवादी सिद्धांत
अगस्त-सितंबर 2014 के ‘नई धारा’ अंक में कैलाश दहिया का लेख ‘द्विज-जार’ परंपरा का कच्चा चिट्ठा ‘अक्करमाशी’ लेख पढ़ने में आया। इस लेख में यह पूरी कोशिश की गई है कि किसी भी स्थिति में ‘अक्करमाशी’ दलित रचना नहीं है। प्रकारांतर से शरण कुमार लिंबाले भी दलित नहीं हैं–इसे भी सिद्ध किया जाए।