योरोपीय समाज
बंबई से पहले तो अवश्य ही योरोप का सुनहला स्वप्न मुझे अपनी ओर खींच रहा था, पर ज्योंही हम मसावा पहुँचे थे कि प्रवासी इतालवियों के एक बड़े जत्थे के कारण मेरे मन की अँधियारी मिट गई
बंबई से पहले तो अवश्य ही योरोप का सुनहला स्वप्न मुझे अपनी ओर खींच रहा था, पर ज्योंही हम मसावा पहुँचे थे कि प्रवासी इतालवियों के एक बड़े जत्थे के कारण मेरे मन की अँधियारी मिट गई
जब से पूज्य विनोबा जी ने भूदान-यज्ञ का श्रीगणेश किया है तब से आंदोलन के विभिन्न पक्षों से संबंध रखने वाले सैकड़ो प्रश्न इस संबंध में उठ चुके हैं।
जन्म से मृत्यु तक; सुख में, दुख में; हर्ष में, विषाद में, हास्य में, रुदन में सर्वदा किसी-न-किसी रूप में नारी के साथ प्राणीमात्र का संबंध बना ही रहता है।
दृग मिले रहें, औ होते रहें बसेरे बस इसी तरह तुम रहो सामने मेरे