वो आँगन याद आता है

वो आँगन याद आता है, वो तुलसी याद आती है जहाँ खेले थे बचपन में, वो मिट्टी याद आती हैकभी शहनाई बजती थी तो उसकी याद आती थी और अब शहनाई बजती है तो बेटी याद आती है

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सुख-दुख दोनों ही आते हैं

सुख-दुख दोनों ही आते हैं, एक साथ त्योहार में मिल जाएँगे, डरे हुए हामिद, मेले-बाजार मेंगाँव-शहर में मौत टहलती, मातम है, सन्नाटा है फिर भी खुशियाँ चहक रही हैं, टीवी पर, अखबार में

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झेल न पाया लम्बा घाटा रमदुल्ला

झेल न पाया लंबा घाटा रमदुल्ला खेती बाड़ी छोड़ के भागा रमदुल्लासूखा, पाला, ओला, बारिश, आग, हवा,सालों साल मुसीबत मारा रमदुल्लाजमा

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बड़े अजीब तुम्हारे ये कैदखाने हैं

बड़े अजीब तुम्हारे ये कैदखाने हैं तुम्हारी धूप तुम्हारे ही शामियाने हैंखुशी के रंग चमकते तुम्हारी आँखों में हमारे सामने फैले कबाड़खाने हैंतुम्हारे पास तो रानाइयाँ हैं दौलत की हमारे पास मुसीबत के वारदाने हैं

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वक्त की बदली हुई तासीर है

वक्त की बदली हुई तासीर है मुँह पै ताले, पाँव में जंजीर हैझूठ, सच में फर्क मुश्किल हो गया किस तरह उलझी हुई तकरीर हैदर्द फैलाया दवाओं की तरह कौन सी राहत की ये तदवीर है

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हाँ उभरकर आ गया गुस्सा हमारे गाँव का

हाँ उभरकर आ गया गुस्सा हमारे गाँव का है खड़ा तनकर हर इक तबका हमारे गाँव कादर्द का इक दौर सा उट्ठा सियासी रूह में आज जब हर आदमी सनका हमारे गाँव काहिल गया सारा प्रशासन आ गया भूकंप सा

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