किस तरफ निकले थे
किस तरफ़ निकले थे और हम किस तरफ़ जाने लगे वक्त के नाज़ुक नमूने सामने आने लगे जाल डाले हर तरफ़ बैठा शिकारी देखकर आसमानों के परिंदे डर से घबराने लगे
किस तरफ़ निकले थे और हम किस तरफ़ जाने लगे वक्त के नाज़ुक नमूने सामने आने लगे जाल डाले हर तरफ़ बैठा शिकारी देखकर आसमानों के परिंदे डर से घबराने लगे
मेला उदास है न तमाशा उदास है पिंजरे में क़ैद वक्त का तोता उदास हैमाँ बाप से निबाह नहीं कर सकी बहू घर का ये हाल देख के बेटा उदास है
तुझको दिल में बसा लिया मैंने ये भी ख़तरा उठा लिया मैंने पत्थरों का ग़ुरूर टूटेगा पाँव ऐसा बना लिया मैंने
कभी महसूस होता है ख़ुशी में अभी कुछ मुश्किलें हैं ज़िंदगी में सुई में माँ ही धागा डालती है किसी मद्धम से मद्धम रोशनी में
ज़िंदगी हम तेरा रस्ता देखते हैं बस इसी उम्मीद पर कब से खड़े हैंसामने हैं जो अभी दीवार लेकर वो कोई दूजे नहीं अपने सगे हैं
हक़ीक़त क्या है रिश्तों की समझ आए तो अच्छा है तुम्हें भी वक्त का नाख़ून चुभ जाए तो अच्छा है किसी भाई ने ही तामीर की है ईंट पत्थर की किसी भाई ही इस दीवार को ढाए तो अच्छा है