न्यायाधीश की पत्नी
न्यायाधीश की पत्नी ने हर पल पर पकड़ हासिल कर ली। उसने मनमोहक और लुभावनी अदाएँ निकोलस विडल पर इस्तेमाल की।
न्यायाधीश की पत्नी ने हर पल पर पकड़ हासिल कर ली। उसने मनमोहक और लुभावनी अदाएँ निकोलस विडल पर इस्तेमाल की।
काश, कोई यार मिलता जो दिल की बात सुनता-समझता जो था भी वह गुजर गया, काश कोई ऐसी पुस्तक मिलती जो प्रेमिका की यादें भूला देती काश, कोई वृद्धा संगिनी मिलती
अतिआधुनिकता की परिणतियाँ देखने के बाद भी हम चेतते क्यों नहीं? सुबह का भूला शाम को घर वापसी क्यों न सोचें।
मारै मौज, मानवैं खैर अपन अपन से जिनका वैर रिखी-मुनी का देय नजीर क्या सखि प्रीतम? नहीं वजीर
क्या नेता गण लोगों से पैर छुआने के लिए ही मंत्री बनते हैं और इसी को जनसेवा का नाम देते हैं?
जितना शायद वह इन इक्यावन सालों के वैवाहिक जीवन में नहीं टूटी उससे ज्यादा इन सोलह दिनों में टूट चुकी थी।