बादशाह शहरयार और उसके छोटे भाई की कहानी

अपनी बेगम की बेवफाई का बादशाह शहरयार के दिल पर गहरा असर पड़ा और उनका औरत जात पर से ही भरोसा उठ गया।

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प्रोफेसरी की बतकही

बाइक पर चलते समय अथवा कार चालन के समय हमारे प्रोफेसर साहब सचेत रहते हैं कि राह में बातचीत के योग्य कोई सुपात्र न छूट जाए।

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अस्मिता

स्त्रियों को नौकरी नहीं करनी चाहिए। राजनीति करने की जरूरत नहीं। दूसरा, वो हथियारों का जखीरा रखेंगे, उन्हें नष्ट नहीं करेंगे लेकिन दूसरे राष्ट्रों को हथियार नहीं बनाना होगा।

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आरक्षण

आरक्षण विरोधियों को? अयोग्य तो दोनों ही हैं। नौकरी की निर्धारित योग्यता तो दोनों में ही नहीं है। विरोध करना है तो दोनों ही तरह के आरक्षण का होना चाहिए।

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खोटा सिक्का

किसी दूसरी को लाओगी न, तो उसका भी यही हश्र होगा अम्मा। मैं घर में रहकर भी उसकी रक्षा नहीं कर पाऊँगा और बँधे हाथ-पाँव भी,

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