कपों की कहानी

मैं रसोई में जाकर उत्साह से चाय बनाने में जुट गया और भगोने में चाय का सामान डालकर, मैंने तीन कप निकाले। एक बड़ा और दो छोटे। फिर सोचा...

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रमणिका गुप्ता से अंतरंग बातचीत

काव्य मंच और दलित साहित्य की बातें आईं तो इन्होंने टिप्पणी की–‘आज काव्य मंच दिशाहीन हो अपने उत्तरदायित्वबोध से अलग है।

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सिंगापुर की डायरी

पूरे सिंगापुर में ये शृंखलाएँ फैली पड़ी हैं। एक स्टार बक्स आउटलेट पर तो बाकायदा लाइब्रेरी है। अखबार और किताबें। इंटरनेट की सुविधा।

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सामने

आज भी सुबह आठ बजे से राहगीरों को ताकते हुए ग्यारह बजे चले थे। मजदूरी को तलाशती उसकी आँखों में मजबूरी पानी बनकर उभर आई थी।

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आज का जापानी साहित्य

जापान में इस साहित्यिक त्रिमूर्ति के बहुत से अनुयायी हुए, परंतु उनकी उम्र कम थी इसलिए ज्योंही युद्ध आया त्योंही उन्हें सेना में जाना पड़ा।

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