प्रेम में लड़कियाँ
ऐसे कह दे कोई जैसे प्रथम प्रेम आखर, समर शेष में पलकों को मूँदें स्वयं को कोसती! फिर देती प्रेम परिमाटी को उलाहने हजार...
ऐसे कह दे कोई जैसे प्रथम प्रेम आखर, समर शेष में पलकों को मूँदें स्वयं को कोसती! फिर देती प्रेम परिमाटी को उलाहने हजार...
उस लेखक का आप क्या कर सकते हैं जिसके समूचे साहित्य में उसका जीवनानुभव घुसा हुआ हो! यह नागार्जुन ही थे
सामाजिक-आर्थिक अंतर व्यक्ति और समुदायों में श्रेष्ठता और न्यूनता ग्रंथि को विकसित करता है यही भारतीय समाज के साथ भी हुआ।
पने माता-पिता के विरुद्ध जाकर कि तुम स्त्री समानता के पक्षधर हो तुम मुझे पूरा सम्मान दोगे मैं गलत थी या तुम सही हो?
कपड़े रंग गए थे होली के रंग की तरह खून मिश्रित हो गया था जख्म और सृष्टि दोनों का निर्माण की क्रिया में। लोग देख रहे थे
सूखने लगा था गला भरभरा रहा था प्यास से। भय ही भय था दूर क्षितिज तक अपने जैसे मानव की दर्दनाक मौत- दुर्गति देख कर,