हमें यह कहना है!
पिछले दिनों, हिंदी-संसार ने दो जयंतियाँ मनाई–पं. माखनलाल जी चतुर्वेदी ‘भारतीय आत्मा’ की हीरक जयंती और युगकवि श्री सुमित्रानंदनपंत की स्वर्ण जयंती। चतुर्वेदी जी और पंत जी हिंदी-कविता के दो दौरों के ही नहीं, उसकी दो प्रवृतियों के भी प्रतीक हैं!