शहर में घर बसाना

हवा बदबू, धुआँ, सीलन से भरी है शोर से सहमी समय की बाँसुरी है तिर रहा हर होंठ पर फिल्मी तरानानहीं रिश्तों की गरम-कनकन छुअन है

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जात न पूछो साधु की

सोनवाँ ने दिल कड़ाकर कहा–‘जो होना था सो तो हो गया। इसी महीने की छब्बीस तारीख से तुम्हारा इम्तिहान है। चलो हाथ-मुँह धो लो, कुछ खिला दूँ तुझे,

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एक बरगद की मौत

अजय ने कहा, ‘बिना किसी पूर्व सूचना के गत बृहस्पतिवार शाम के समय अचानक कालवैशाखी ने अपना तांडव मचाया था पाटपुर में।

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