वापसी की यात्रा
वापसी की यात्रा उम्मीदों से भरी होती है प्रकाश, प्रेम और ‘थकान से मुक्ति’ के जश्न की कामना लिए वापसी की यात्रा हमेशा छोटी होती है गमन की यात्रा से।
वापसी की यात्रा उम्मीदों से भरी होती है प्रकाश, प्रेम और ‘थकान से मुक्ति’ के जश्न की कामना लिए वापसी की यात्रा हमेशा छोटी होती है गमन की यात्रा से।
‘मैं नहीं जानता, बहुत लोग रोज आते हैं–उनका परिचय तो लेता नहीं।’ वह लेडी यहाँ नई-नई आई थी और डिप्टी कलक्टर के पोस्ट पर थी।
अपने इर्द-गिर्द से आ रहे विमर्श को जगरनिया के माई बाबू सुन रहे हैं। बात एक होती है लेकिन दिमाग अपने अनुसार आशय ढूँढ़ता है।
जब मंदिर के कपाट बंद करने का समय हुआ, तो बाबा छूरा छिपाए कुटिया से बाहर आए और भगवान शिव की प्रतिमा के आगे नतमस्तक होकर विनती की,
स्त्री विमर्श को लेकर या स्त्री अधिकारों को लेकर और स्त्री लेखन को भी अब ज्यादा गंभीरता से देखा, जाना, समझा जाने लगा है और बहुत सारी स्त्री लेखिकाएँ भी हैं जो बहुत अच्छा लिख रही हैं। तो अब आपको ये परिदृश्य जो है, ये उस परिदृश्य से जब आपने शुरू किया था तो कितना फर्क लगता है? इसकी अच्छी चीजें आपको क्या लगती हैं?
नौकुछिया ताल में मैंने पैरों को पानी में डाला कौन से ताल में पहले में या दूसरे में या नौवें ताल में जिसमें भी मैंने डाले पैर नौ