शहर में घर बसाना
हवा बदबू, धुआँ, सीलन से भरी है शोर से सहमी समय की बाँसुरी है तिर रहा हर होंठ पर फिल्मी तरानानहीं रिश्तों की गरम-कनकन छुअन है
हवा बदबू, धुआँ, सीलन से भरी है शोर से सहमी समय की बाँसुरी है तिर रहा हर होंठ पर फिल्मी तरानानहीं रिश्तों की गरम-कनकन छुअन है
सोनवाँ ने दिल कड़ाकर कहा–‘जो होना था सो तो हो गया। इसी महीने की छब्बीस तारीख से तुम्हारा इम्तिहान है। चलो हाथ-मुँह धो लो, कुछ खिला दूँ तुझे,
एकाएक भिलोटन की आँखों में खून उत्तर आता है और वह कंबल को झरहेट कर एक ही छलाँग में लपकते हुए चारों को धर दबोचता है।
हरे-भरे वृक्षों-लताओं पर फुदकने, अपनी पसंद के फल-फूल खाने का अलग ही मज़ा है। डायना ने उस दिन कुछ-कुछ महसूस किया था।
सुख असीमया दुःख हो अनंत सिर्फ एक मन:स्थिति हैं...पर सुख के निर्विघ्न क्षणों में मन-रथ के घोड़े जब निरकुंश
अजय ने कहा, ‘बिना किसी पूर्व सूचना के गत बृहस्पतिवार शाम के समय अचानक कालवैशाखी ने अपना तांडव मचाया था पाटपुर में।