गमलों में कल्पनाएँ
कल्पना यथार्थ से भी अधिक कठोर होती हैं इसे कोमल उँगलियों से भी स्पर्श मत करो शरमा जाती है यह छुईमुई की तरह
कल्पना यथार्थ से भी अधिक कठोर होती हैं इसे कोमल उँगलियों से भी स्पर्श मत करो शरमा जाती है यह छुईमुई की तरह
गाँव चकमहमद, पत्रालय देसरी, जिला वैशाली (हाजीपुर), राज्य बिहार। सौ-सवा सौ घरों का गाँव। उत्तर-पूरब में घाघरा नदी
यादों के दायरों की जद में वे लम्हे भी आएँगे जब तुमने और मैंने दूर रहकर भी सोचा था एक दूजे के बारे में।
सूरज अपनी रोशनी रात के आँचल में छुपाकर कहीं सो जाए या फिर निकल पड़े एक लंबे सफर पर मुझे तो रात की तन्हाई का करना है सामना
खोयी-खोयी आँखों में गहरा सन्नाटा है घर के भीतर-बाहर नागफनी का काँटा है ज्ञान न बदला सिर्फ सूचना-सीखें बदल रहींगहन उमस है
श्रम के घर रोटी के भी लाले होंगे सच के मुँह पर जड़े हुए ताले होंगे ढाही सिंह को मारेंगी गायें गाभिनसतरंजी चालें चलता रोवट होगा हिंसा के गुण गाता अक्षयवट होगा