अफ़सर का दु:ख

कुर्सी जब विरामावस्था में आ गई तो यह याद आया कि स्टाफ हो या नहीं हो, मीटिंग तो करानी पड़ेगी। चाबी लेकर आलमीरा खोला।

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शान्ति सुमन के नवगीत

नवगीत की भाषा में किसी दृश्य का सौंदर्य जब शब्द में अभिव्यक्त होता है तब स्थूल हो जाता है और स्पर्श में अनुभूति का कारण;

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भूला दिए गए ‘बिहार के प्रेमचंद’ : अनूपलाल मंडल

उल्लेखनीय है कि शिलानाथ विश्वास के बेटे फणीश्वरनाथ ‘रेणु’ के पहले साहित्यिक गुरु अनूपलाल मंडल ही थे।

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मन्नत के धागों-सी कविताएँ

एनसीसी के दिनों में खूब कमांड दिया करती थी। शायद उसी ने दिया होगा यह थ्रो। बहरहाल, अच्छा लगा।

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गमलों में कल्पनाएँ

कल्पना यथार्थ से भी अधिक कठोर होती हैं  इसे कोमल उँगलियों से भी  स्पर्श मत करो   शरमा जाती है यह छुईमुई की तरह

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