रोना

स्वस्थ जीवन के लिए हँसना-रोना दोनों जरूरी है, परंतु पता नहीं क्यों महागुरुओं ने ‘रुदनयोग’ को योग-चर्चा में शामिल नहीं किया

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हिंदी बाल साहित्य परंपरा, प्रगति और प्रयोग

बाल साहित्य बच्चों में उन गुणों का बीजारोपण करता है जो भविष्य में चरित्रवान तथा नैतिक मूल्यों की रक्षा करते हैं।

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‘पाटलिपुत्र’ निर्भीक पत्रकारिता की बानगी

काशी प्रसाद जायसवाल के संपादन में पटना से 1914 में शुरू हुआ ‘पाटलिपुत्र’ ने 7 वर्षों तक स्वतंत्रता की लौ जगाई।

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भाषा विवाद कूपमंडूक मस्तिष्क की देन है

वास्तव में, हिंदी-उर्दू विवाद घोर रूप से कूपमंडूक प्रकार के मस्तिष्क की देन है’ अवैज्ञानिक, अनप्रैक्टिकल केवल लड़ाई कराने वाली है।

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जो बीत गई सो बात गई

कितने इसके तारे टूटे कितने इसके प्यारे छूटे जो छूट गए फिर कहाँ मिले पर बोलो टूटे तारों पर कब अंबर शोक मनाता है जो बीत गई सो बात गई।

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