झूठ को इतना असरदार बना लेते हैं
झूठ को इतना असरदार बना लेते हैं साँच को छाँट के अख़बार बना लेते हैंतीर तरकस भी मददगार उन्हीं का होगा
झूठ को इतना असरदार बना लेते हैं साँच को छाँट के अख़बार बना लेते हैंतीर तरकस भी मददगार उन्हीं का होगा
अर्पित हो तन-मन अपना भी मन हो वृन्दावन अपना भीमधुवन का माधुर्य सलीक़ा पावन हो आँगन अपना भीपुतना पस्त हुई मर जाए
ख़ूब सूरत घराने लगे हौसले के तराने लगे दूर से देखकर सोहदे तितलियों को डराने लगेपूत बैठे रहे ताश पर काम माँ से कराने लगे
आइना देखकर गुदगुदी बढ़ गई हौसले की उमर इक सदी बढ़ गईपांडवों बीच सहती रही यातना कृष्ण आगे बढ़े, द्रोपदी बढ़ गई
कनकनी से राजधानी त्रस्त की ख़बरें छपीं चाँद सूरज हो गए अब, अस्त की ख़बरें छपींजब से जादूगर गिनाया जागने के फ़ायदे तब से लाखों लोग लकवाग्रस्त की ख़बरें छपीं
देर तक क़ायम रहे हालात वो पैदा तो हो सोच का यह दायरा थोड़ा बहुत लंबा तो हो बस यही हम सोचते हैं शाम के ढलने के बाद रात भर के रेशमी आँचल की ही चर्चा तो हो