एक लेखिका की कैंसर डायरी

एक बात जो इस दौरान बड़ी शिद्दत से मैंने महसूस की कि घर हो या हॉस्पिटल हर जगह हर व्यक्ति इस बात का खयाल रखता कि मेरा मूड खराब न हो या मैं खुश रहूँ। शायद खुश रहना भी कैंसर की एक दवा है।

और जानेएक लेखिका की कैंसर डायरी
 महात्मा गाँधी का बनारस भाषण
गाँधी जी बेसेंट की इस धारणा से इत्तेफ़ाक़ नहीं रखते थे। वे इसकी वजह मानते थे, परस्पर अविश्वास। ब्रिटिश सत्ता और भारतवासी एक-दूसरे के प्रति विश्वास के जोड़ से नहीं बँधे थे।

महात्मा गाँधी का बनारस भाषण

गाँधी जी बेसेंट की इस धारणा से इत्तेफ़ाक़ नहीं रखते थे। वे इसकी वजह मानते थे, परस्पर अविश्वास। ब्रिटिश सत्ता और भारतवासी एक-दूसरे के प्रति विश्वास के जोड़ से नहीं बँधे थे।

और जानेमहात्मा गाँधी का बनारस भाषण

लखनऊ का ऐतिहासिक रेखाचित्र

उन्नीसवीं शताब्दी यदि भारतीय इतिहास, राजनीति, संस्कृति, समाज, धर्म, शिक्षा और भाषा आदि के क्षेत्रों में आमूल-चूल परिवर्तनों की शताब्दी है,

और जानेलखनऊ का ऐतिहासिक रेखाचित्र

‘अक्करमाशी’ प्रसंग अर्थात हणमंता राव लिंबाले

दलित साहित्य में द्विज जारकर्म की व्यवस्था के किसी भी तरह के लेखन के लिए कोई स्थान नहीं।

और जाने‘अक्करमाशी’ प्रसंग अर्थात हणमंता राव लिंबाले

गठरी

एकाकी अम्मा को भरी-पूरी तेज रफ्तार दुनिया नहीं सुहाती, तो दुनियादारी में आपादमस्तक डूबी जानकी को अम्मा का बड़बोलापन बेतरह चुभता है.

और जानेगठरी

यशस्वी भव

अवधेश ने अपनी आँखें पोंछीं, अपने आपको स्थिर किया और प्रवीर की तरफ मुँह घुमाया। प्रवीर का स्थिर और पथराया चेहरा देखकर वह सहम गया। उसने प्रवीर को टोका,

और जानेयशस्वी भव