भाषा विवाद कूपमंडूक मस्तिष्क की देन है

वास्तव में, हिंदी-उर्दू विवाद घोर रूप से कूपमंडूक प्रकार के मस्तिष्क की देन है’ अवैज्ञानिक, अनप्रैक्टिकल केवल लड़ाई कराने वाली है।

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जो बीत गई सो बात गई

कितने इसके तारे टूटे कितने इसके प्यारे छूटे जो छूट गए फिर कहाँ मिले पर बोलो टूटे तारों पर कब अंबर शोक मनाता है जो बीत गई सो बात गई।

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जब सपने आते हैं

अँधेरे से अँधेरे वक्त में भी जिंदा रहते हैं सपने पहले एक आदमी की आँखों में उतरते हैं फिर हजार आँखों में झिलमिला उठते हैं

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कहीं भी हो सकते हैं मुर्दे

जब किसी निर्दोष के गले पर कोई सरकार अपने घुटने टिका देती है उसका दम घुटने लगता है मुर्दे पहचान लिए जाते हैं

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