नींद कानून के रखवालों की
सबको आता नहीं कानून से लड़ने का हुनर आस मजबूर की इनसाफ़ पे ठहरी देखी
सबको आता नहीं कानून से लड़ने का हुनर आस मजबूर की इनसाफ़ पे ठहरी देखी
मुट्ठी से सरक गई यूँ धूप गर्म हवा मानो मिट्टी से नीम चुरा गई छिटकी रोशनी को सँभालते-सँभालते शाम वे कयामत सी आ रही।
वसंत है हवा में फिर गमगीनी क्यों सपाट दोपहर अलसाई किरणें क्यों वसंत है
एक बात जो इस दौरान बड़ी शिद्दत से मैंने महसूस की कि घर हो या हॉस्पिटल हर जगह हर व्यक्ति इस बात का खयाल रखता कि मेरा मूड खराब न हो या मैं खुश रहूँ। शायद खुश रहना भी कैंसर की एक दवा है।
गाँधी जी बेसेंट की इस धारणा से इत्तेफ़ाक़ नहीं रखते थे। वे इसकी वजह मानते थे, परस्पर अविश्वास। ब्रिटिश सत्ता और भारतवासी एक-दूसरे के प्रति विश्वास के जोड़ से नहीं बँधे थे।
एक रचनाकार को जानने व समझने का सबसे सशक्त माध्यम बनती है, उसकी रचना। एक पाठक के रूप में जब हम किसी रचना से जुड़ने का प्रयास करते हैं तो…