आम आदमी के संघर्ष की गाथा
अब कोई साधारण जन रोज बदल रहे समय, रोज बदल रही तकनीक, रोज बदल रही जीवन-शैली में खुद को कहाँ पर एडजस्ट करे
अब कोई साधारण जन रोज बदल रहे समय, रोज बदल रही तकनीक, रोज बदल रही जीवन-शैली में खुद को कहाँ पर एडजस्ट करे
यह सुनकर ओजसिंह के हाथ जुड़ गए। वक्त देखकर सुमन जी ने कहा, ‘हाँ, एक वह रेडियो होता है न, जिसमें तस्वीरें आती हैं...वह दे देना।’
तीनों को मालूम है कि पति ने चाय के लिए एक ही बार कहा था। शालू से रहा नहीं गया। रसोई से चाय लाते समय वह बोली, ‘सासू माँ, क्या आपकी सास ने भी आपके साथ ऐसा सलूक किया था
‘बड़ी मुश्किल से कपूर औरों से तीस रुपये एडवांस दिए, जैसे बहुत बड़ा अहसान कर रहे हो।’ दयावती ने माँ को पैसे दिए,
वह ज्योतिषी के यहाँ पहुँचा तो भीड़ न पाकर हैरान भी हुआ और खुश भी। नमस्ते करके उसने अनमने भाव से दोनों बच्चों की कुंडली के कागज उनके सामने रख दिए और हाथ बाँधकर बैठ गया।
मैं रसोई में जाकर उत्साह से चाय बनाने में जुट गया और भगोने में चाय का सामान डालकर, मैंने तीन कप निकाले। एक बड़ा और दो छोटे। फिर सोचा...