हाय री आँखें!
यहाँ तो जो आज आँखों का खिलौना है वही कल घिनौना बन आँखों से ओझल हो जाता और जो कल कल्पना से भी परे था वही आँखों में समाकर उसकी प्रेरणा बन जाता।
यहाँ तो जो आज आँखों का खिलौना है वही कल घिनौना बन आँखों से ओझल हो जाता और जो कल कल्पना से भी परे था वही आँखों में समाकर उसकी प्रेरणा बन जाता।