हवा का रुख
‘...हिंदू धर्म ढोंग है, ढकोसला है। ऊँच-नीच के धरातल पर रखी इमारत है, जिसमें सर्वोच्च ब्राह्मण है तो निकृष्ट शूद्र। जहाँ इस तरह की व्यवस्था हो वहाँ न तो प्यार…
‘...हिंदू धर्म ढोंग है, ढकोसला है। ऊँच-नीच के धरातल पर रखी इमारत है, जिसमें सर्वोच्च ब्राह्मण है तो निकृष्ट शूद्र। जहाँ इस तरह की व्यवस्था हो वहाँ न तो प्यार…
संसद में नया बिल पारित हुआ। कानून बना, कोर्ट ने फैसला सुनाया। ‘अगले’ पाँच साल किसी भी क्रिमीलेयर को सरकारी, गैर-सरकारी या अर्धसरकारी सेवा में नहीं लिया जाएगा। वे किसी…
अज्ञेय जी से केवल एक बार भेंट हुई थी। चालीस वर्ष पूर्व जब वे इंदौर आए थे। निरंजन जमींदार के आवास पर। एयरपोर्ट से (उन दिनों गिनती की ही फ्लाइट…
बात थोड़ी पुरानी है। जनवरी 1983 की सात तारीख। नाथनगर (भागलपुर) के नूरपुर मुहल्ले में रहकर मैं एम.ए. की पढ़ाई कर रहा था। परीक्षा हो चुकी थी, परीक्षाफल का इन्तज़ार…
‘स्वातंत्र्योत्तर हिंदी कविता और नए रचनात्मक सरोकार’ पर विचार करती हूँ तो सबसे पहले यह सवाल खड़ा होता है कि स्वातांत्र्योत्तर हिंदी कविता के नए रचनात्मक सरोकार क्या रहे हैं?…
वर्ष 2017 का नवंबर माह। चम्पारण सत्यागह का शताब्दी वर्ष चल रहा था। बिहार सरकार की पहल पर पटना के ज्ञान भवन में एक विचार गोष्ठी आयोजित थी। बैठक में…