आदिम रसगंधों के गायक रेणु
हिंदी कथा साहित्य के क्षेत्र में फणीश्वरनाथ रेणु का आगमन एक महत्त्वपूर्ण घटना है। इन्होंने कथा साहित्य को लोकजीवन के अपार वैभव से जोड़कर उसमें निहित संभावनाओं का अधिकतम दोहन किया है।
साहित्य-ऋषि उदय राज सिंह
एक समय था जब बिहार पत्र-पत्रिकाओं की मरुभूमि के नाम से कुख्यात रहा, इसका कारण प्रतिभाशाली पत्रकारों या प्रबुद्ध पाठकों की कमी नहीं थी बल्कि एक संयोग था कि यहाँ के विद्वान कलकत्ता, दिल्ली, बनारस मुंबई, लखनऊ, कानपुर से प्रकाशित होनेवाली पत्र-पत्रिकाओं के संपादक थे और यहाँ के पाठक अन्य प्रदेशों से निकलनेवाली पत्र-पत्रिकाएँ पढ़ रहे थे।
शिवकुमार मिश्र–बीहड़ पर्वत से फूटता एक निर्झर
डॉ. मिश्र में संबंधों के निर्वाह की धारणा प्रबल थीं। वे प्रत्येक स्थिति में संबंधों को प्राथमिक तौर पर महत्त्व देते थे। मेरे सुपुत्र की पीएच.डी. की थीसिस के मूल्यांकनकर्ता थे। अब तक वे गुजरात के आनंद पहुँच चुके थे।
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