मोह से दंशित समर्पण के प्रबल
मोह से दंशित समर्पण के प्रबल प्रतिवाद से पाप अपना धो रही सत्ता महज उन्माद सेतोड़कर सारी हदें जो प्रश्न संसद में उठे देखकर पथरा गईं आँखें मुखर संवाद सेमूल्य बदले जा रहे हैं आपसी संबंध के प्यार के बल से प्रलोभन जातिगत अनुवाद से