क्या बोलूँ, क्या बात है!

क्या बोलूँ, क्या बात है! नील कमल बन छाईं आँखें; राग-रंग ने पाईं पाँखें; बाण बने तुम इंद्रधनुष पर! जग पीपल का पात है!!

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अहिंसात्मक प्रजातंत्र की बुनियाद

अपने देश में सब जगह आज हमें उत्पादन और दरिद्रता एक दूसरे से जुड़े हुए दिखाई देते हैं।

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