तेजेंद्र शर्मा की कहानियाँ

तेजेंद्र शर्मा अपनी कहानियों में अपने समय के परिवेश को पूरी गहनता और सघनता से व्यक्त करते है। उनकी कहानियों में फैले परिवेश का विस्तार देशी और विदेशी पृष्ठभूमि पर आधारित है। अपनी कहानियों में तेजेंद्र शर्मा उस परिवेश को उद्घाटित करते हैं जो हमारी चेतना को बहुत गहरे जाकर उद्वेलित और प्रभावित करता है।

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प्यार के सपने

बड़ी उम्मीद पर मैंने कदम अंगार पर डाले, बड़ी उम्मीद पर मैं पी गया हँस कर ज़हर-प्याले, दिशाएँ मोड़ लूँगा, मैं नयी दुनिया बना लूँगा

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प्रभाकर माचवे

कमरे में दाईं ओर पुस्तकों से भरी एक आलमारी रखी हुई थी। दरवाजे के ठीक सामने एक दरी पर हिंदी की पच्चीसों पत्रिकाएँ और कुछ मराठी, अँग्रेजी तथा फ्रेंच पत्र-पत्रिकाओं के मई के अंक बिखरे पड़े थे।

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बूढ़े लाला

लाभडाल को तो मैंने अपनी आँखों के सामने बसते देखा”–बूढ़े लाला ने सफेद भौंहों के पीछे गहराई में छिपी दोनों आँखों को मेरी ओर गड़ाते हुए कहा।

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