हिंदी का नया आख्यान साहित्य और मनोविश्लेषण
फ्रायड ने कला की इस परंपरागत यथार्थवादी परंपरा को उलट कर एक मनोवैज्ञानिक सौंदर्य सिद्धांत की स्थापना की। उसके अनुसार कला एक विक्षिप्त और विक्षुब्ध मानस की उपज है। कलाकार एक अभिशप्त व्यक्ति है जो प्रवृत्ति से ही अंतर्मुखी होता है। वह समाज में अपना सामंजस्य पाने में असमर्थ रहता है, इसलिए यथार्थ से पलायन करके वह अपने कल्पनालोक में शरण लेता है।