प्रबोध
जागो निद्रा-तंद्रा के कर बिके हुए बेमोल! उड़ी सुरभि सब ओर भोर के सरसिज-संपुट खोल!!
जागो निद्रा-तंद्रा के कर बिके हुए बेमोल! उड़ी सुरभि सब ओर भोर के सरसिज-संपुट खोल!!
महाराष्ट्र ही क्यों, भारत का प्रत्येक व्यक्ति संत तुकाराम के नाम से परिचित है। उसके अभंग आज भी स्थानों-स्थानों में विद्वानों द्वारा गाये जाते हैं।
बरसात क्या आ गई गाँव में नया जीवन आ गया है। कोई टाट के थैले की तिकोन ‘घोमची’ ओढ़ कर और कोई अपने शरीर पर के कुरते और बंडी को भी उतार कर, बरसते पानी मैं अपने-अपने काम में संलग्न हो उठे हैं।
मंदाकिनी नौकर दाई के दु:ख से बेदम हो उठी थी। नौकर तो उसके कभी था ही नहीं। बेचारी विधवा थी, गाँव से अपने खेत की उपज मँगा लेती थी।
पहले शीर्षक से आप चौंकेंगे–सो उसे समझा दूँ। भगवे से तात्पर्य है हिंदूधर्म की ध्वजा जैसे शिवाजी का भगवा झंडा, ‘हिंदू पद-पादशाही’ की पताका।