बंधु! जरूरी है मुझको घर लौटना
बंधु! जरूरी है मुझको घर लौटना, एक मुझे भी ले लो अपनी नाव पर। देर तनिक हो गई वहीं, बाजार में, मोल-तोल के भाव और व्यवहार
बंधु! जरूरी है मुझको घर लौटना, एक मुझे भी ले लो अपनी नाव पर। देर तनिक हो गई वहीं, बाजार में, मोल-तोल के भाव और व्यवहार
ऊँचाई पर बने आधी दीवार वाले फुटपाथों के आसमान को गले लगाते हम पहुँचते सिनेमाघर के भीतर अगर मैटिनी शो के अँधेरे में मैंने प्यार किया
गजल पहले भी बोलती थी और अब भी बोलती है। गजल पहले लुक-छिपकर किसी के खिलाफ कुछ बोलती थी, अब मुखर होकर कहती है।
हिंदी के प्रसिद्ध साहित्यकार उदय राज सिंह का संपूर्ण रचनाकर्म मध्यवर्गीय नागर समाज के बहुपरतीय जीवन-संघर्ष और भावनात्मक रिश्ते की संवेदना को उकेरता अपने समय का जीवंत दस्तावेज है।
अनुवाद दो भाषाओं को जोड़ने वाला पुल है। अनुवाद के द्वारा ही हम किसी दूसरे देश, प्रांत के साहित्य, कला, संस्कृति व विज्ञान से परस्पर परिचित हो सकते हैं।