आप कब किसके नहीं हैं

जो तसव्वुर था हमारा आप तो वैसे नहीं हैंजानते हैं आपको हम हाँ मगर कहते नहीं हैं बात करते हैं हमारी जो हमें समझे नहीं हैंजो पता तुम जानते हो

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पास आना चाहता हूँ

पास आना चाहता हूँ बस बहाना चाहता हूँआप से रिश्ता नहीं तो क्या निभाना चाहता हूँसिर्फ़ मुझसे ही रहे जो वो ज़माना चाहता हूँकाश ख़ुद भी सीख पाता जो सिखाना चाहता हूँजो मुझे हैं याद उनको याद आना चाहता हूँ।

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उसने ख़ुद को पाने तक

बस किरदार बचाने तक  ज़िंदा है मर जाने तकसिर्फ़ मुझे ही सोचेगा  वो मुझ-सा हो जाने तकमुझको ढूँढ़ न पाएगा मुझमें गुम हो जाने तक ख़ुद ही बेपहचान हुआ 

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सुन लो जो सय्याद करेगा

आँखों ने ही कह डाला है  तू जो कुछ इरशाद करेगा एक ज़माना भूला मुझको एक ज़माना याद करेगा काम अभी कुछ ऐसे भी हैं जो तू अपने बाद करेगा 

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आँखों में मैख़ाने थे

आँखों में मैख़ाने थे वो कुछ और ज़माने थे‘ईलू’ जैसे शब्द कई  मैंने तुमसे जाने थे उनके दिल में मेरे भी  कुछ महफ़ूज़ ठिकाने थे

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क्या बनाऊँ आशियाँ

क्या बनाऊँ आशियाँ  कम पड़ेगा ये जहाँ बिजलियाँ ही बिजलियाँ और मेरा घर यहाँएक थे हम दो यहाँ  कौन आया दरमियाँढूँढ़ते हो क्यों निशाँ

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