रामदरश मिश्र–भारतीय ग्राम्य संस्कृति के कवि

रामदरश मिश्र ऐसी कविता के कवि हैं, जो हृदय का केवल गहरा स्पर्श न करे, बल्कि हृत्तंत्री को देर तक झनझना दे, विचारों को उद्बुद्ध कर दे, जगा दे, पाठक को सहभावन कराने के साथ-साथ स्थितियों का मूल्यांकन भी करा दे।

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 मस्जिद और मंदिर
Souvenir From Turkey From Asia - Children Playing With A Turtle by Alexandre-Gabriel Decamps- WikiArt (1)

मस्जिद और मंदिर

‘प्यार ही तो है इस संसार के लिए जरूरी साधन’ यह घोषणा करने के लिए मस्जिद और मंदिर की तरह नहीं इंसानों की तरह करते ही रहेंगे कोशिश।

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गजलों का संसार

संपादक बलराम के कुशल संपादन एवं परिश्रम से ‘समकालीन भारतीय साहित्य’ का यह साफ-सुथरा अंक प्रशंसनीय बन पड़ा है।

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समकालीन भारतीय साहित्य

संपादक बलराम के कुशल संपादन एवं परिश्रम से ‘समकालीन भारतीय साहित्य’ का यह साफ-सुथरा अंक प्रशंसनीय बन पड़ा है।

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मन की गति

सब शब्दों से अनछुआ एक विचित्र शब्द सा कराहता है मन। विचित्र बात है थकान मिटाते ही अगले पल फिर से प्रकट हो जाती है वह किसी दूसरे रूप में। फिर से संघर्ष... संसार के दुखों से बेचैन मन कोई पाबंदी भी नहीं रहम भी नहीं।

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हिंदी कविताओं में अनागत परंपरा

अनागत कविता में भविष्य के प्रति जिज्ञासा, आतुरता छिपी हुई है सामान्य अर्थों में कहा जाए तो अनागत आशावाद के सिवाय और कुछ नहीं है।

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