आज उपहार है जिंदगी

कौन कहता है अजब दर्द है यारा अशआर है जिंदगीमहफिलों में विहँसती सदा आज उजियार है जिंदगीहर कदम हमनशीं है बनी प्यार की धार है जिंदगी

और जानेआज उपहार है जिंदगी

मुहब्बत हमारी सजा दे गई है

अजब रौशनी-सी बिखर के जिगर से नई जिंदगी की अदा दे गई हैकहाँ साथ देता जहाँ हमसफर-सा इबादत मगर हर दुआ दे गई हैचले हैं सभी हमक़दम मरहला को मगर चाल उनकी दगा दे गई है

और जानेमुहब्बत हमारी सजा दे गई है

देश को दुकान मत करो

खूब दिलेरी दिखा मगर खँडहर मकान मत करोभीलनी से राम तर गए इस तरह गुमान मत करोजो हुआ हँसी मजाक में पर लहू लुहान मत करो

और जानेदेश को दुकान मत करो

गजब के फैसले होने लगे

मिला जब कुछ नहीं खलिहान से जमीं पर आसमां बोने लगेपसीने की कमाई क्या कहें नजर के सामने खोने लगेकिसी ने शील को सीता कहा जमाना दूध से धेले लगे

और जानेगजब के फैसले होने लगे

यही बात पहले कही होती

अदब से प्रभु पेश आते तो अहल्या सलामत रही होतीअगर व्याकरण ही नहीं होता नदी बहता, खट्टी दही होतीलगी आग सीता परीक्षा में पुरुषों की होती, सही होती

और जानेयही बात पहले कही होती