सन् 1857 और ‘देश की बात’
देउस्कर का कहना है कि–अँग्रेज कहते हैं, हम तुमलोग को सभ्यता सिखा रहे हैं। हम भी समझते हैं, ‘अँग्रेजों के सहवास से हम सभ्य हो रहे हैं।’ इस पहेली की मीमांसा करते समय सर टॉमस मनरो ने कहा है–भारतवासियों को सभ्य बनाने की बात का मतलब ही मैं अच्छी तरह समझ नहीं सका हूँ।