लगाती हैं किसानी दाँव
फकत अरमान के दानें वो बोते नर्म माँटी में कभी पुरबा कभी पछुवा, गई ललकार ये मौसमनिकल कर झाँकता है बीज का नवजात सा कल्ला उसी के साथ सौ दुश्मन लिए अवतार ये मौसमहथेली पर टहलती खेत की हँसमुख नई खुशियाँ मगर लेकर कोई भाग झपट्टामार ये मौसम