राधाकृष्ण को हम क्यों भूलें
कहानी एक गरीब लड़के के आत्मवृत्त के रूप में है, जिसमें वह कहता है : ‘आजकल तो मैं ही घर में कमाने वाला हूँ। दिन के समय लड़कों के साथ कोसी में मछलियाँ मारता हूँ। शाम होते ही किसी की फुलवारी में घुसकर कुछ फल और सब्जी का जुगाड़ करता हूँ। इसी से घर चलता है। उस दिन भूखन साहू के यहाँ एक बैलगाड़ी खड़ी थी। उसमें चावल के बोरे लदे थे। अपने साथियों के साथ मिलकर हमने एक पूरा बोरा उड़ा लिया और गाड़ीवान को खबर तक न हुई।