मैं कहानी लेखन में बौद्धिकता का पक्षधर नहीं हूँ–तेजेंद्र शर्मा
सृजन कभी सीखा नहीं जा सकता। उसे केवल माँझा जा सकता है। सृजन की आवाज अंतर्मन से ही उठती है–एक विचार के तौर पर। इसलिए मैं सृजन के लिये विचार को महत्त्वपूर्ण मानता हूँ, विचारधारा को नहीं। राजनीतिक विचारधारा के दबाव में पैंफलेट तो लिखा जा सकता है साहित्य नहीं। जब जब हमारी कलम आम आदमी के कष्ट और दुःख के लिये उठेगी वो स्वयं ही बेहतरीन साहित्य की रचना करेगी।