तेजेंद्र शर्मा की कहानियाँ

तेजेंद्र शर्मा अपनी कहानियों में अपने समय के परिवेश को पूरी गहनता और सघनता से व्यक्त करते है। उनकी कहानियों में फैले परिवेश का विस्तार देशी और विदेशी पृष्ठभूमि पर आधारित है। अपनी कहानियों में तेजेंद्र शर्मा उस परिवेश को उद्घाटित करते हैं जो हमारी चेतना को बहुत गहरे जाकर उद्वेलित और प्रभावित करता है।

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बलिपथ के गीत

जब राष्ट्रोत्थान की भावना दिनोंदिन अपना व्यापक रूप धारण करती जा रही थी, उन दिनों भी ‘मिलिंद’ मिलिंद था। वह कभी अकोला में अध्ययन करता था, तो कभी पूना के तिलक विद्यापीठ की परीक्षा देता था।

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पावस और लोकगीत

भारतीय ग्राम्य जीवन सदा से संगीतमय रहा है। कर्ममय ग्राम्यजीवन में भी आघात-व्याघात, प्रेम-विरह, सुख-दुख के अनुभवों के स्रोत छंदबद्ध हो कर निकलते हैं।

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