कागा उचर रहा है
मोबाइल के भी इस युग में कागा का इंगित पोर-पोर में खुशियों को कर देता है अंकित दर्द भरे दिल को कोई सहलाने वाला है
मोबाइल के भी इस युग में कागा का इंगित पोर-पोर में खुशियों को कर देता है अंकित दर्द भरे दिल को कोई सहलाने वाला है
जीवन भर दिन एक सरीखे कहो कहाँ होते फसल काटते वैसी जैसी खेतों में बोते फसल नहीं उत्तम उपजी तुम रोग रहे लाला
कदम-कदम कर धरती नापे पर्वत मापे, खाई मापे पता नहीं कब शाम हो गई और हुई कब सुबह
निरपराध से लड़वाते हैं निरपराध मरते सत्ता तो बस हुकुम चलाती कहाँ सब्र बरते कहने को हो हुक्मरान ने शत्रु पछाड़े हैं
जो लड़े और युद्ध-क्षेत्रे मरे सचमुच वे ही वीर कहलाए मैं, अपने सिर ऊपर तीर रखता हूँ और सीने में अपार हौसला भरता हूँ मैं, हर दिन एक युद्ध लड़ता हूँ और हर दिन एक नए जीवन के लिए
वह जो एक वाक्य है मैं उसे एक अच्छे वक्तव्य में हूबहू बदल देना चाहता हूँ मेरे पास वाक्य नहीं है।वह जो एक वक्तव्य है मैं उसे एक अच्छी भाषा में हूबहू बदल देना चाहता हूँ