वापसी
सुना था वापसी तो एक ही बार होती है जीव की एक जीवन में इस पृथ्वी से उस घर को जो है वैभव लोक में मृत्यु के बाद।
सुना था वापसी तो एक ही बार होती है जीव की एक जीवन में इस पृथ्वी से उस घर को जो है वैभव लोक में मृत्यु के बाद।
कुछ दिन रहना इस घर में जो उतना ही तुम्हारा भी है तुम्हें देखने की प्यास है गहरी तुम्हें सुनने की
शान से छिपी बैठी थी वह भूख को पछाड़ते एक रोटी के टुकड़े में, उसे निहारती आँखों में उमड़ते उम्मीद के सागर में!मैंने बढ़ाए कदम बहुत हौले, करने को धप्पा, वह दौड़ पड़ी चंचल बच्ची-सी मुग्ध हँसती, देती चुनौती।
बंधु! जरूरी है मुझको घर लौटना, एक मुझे भी ले लो अपनी नाव पर। देर तनिक हो गई वहीं, बाजार में, मोल-तोल के भाव और व्यवहार
ऊँचाई पर बने आधी दीवार वाले फुटपाथों के आसमान को गले लगाते हम पहुँचते सिनेमाघर के भीतर अगर मैटिनी शो के अँधेरे में मैंने प्यार किया
गजल पहले भी बोलती थी और अब भी बोलती है। गजल पहले लुक-छिपकर किसी के खिलाफ कुछ बोलती थी, अब मुखर होकर कहती है।