कवि शैलेन्द्र

शैलेन्द्र हिंदी के सबसे बड़े गीतकार हैं। ऐसा इसलिए कि भाषा की ऐसी सादगी, बहाव और लोच किसी दूसरे गीतकार में नहीं।

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छात्र- जीवन में साहित्य का बीज

‘आदमीयत’ को बचाए रखने के लिए साहित्य के प्रति रुचि का बढ़ना ज़रूरी है और इसकी कोशिश विद्यार्थी-जीवन से ही शुरू करनी होगी।

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साँप

शर्ट-पैंट फाड़ने के बाद भीतरी वस्त्र भी नोच फेंके गए। शिल्पा ज्यों-ज्यों अपने गठीले बदन और मछलियों की-सी मांसपेशियों को फुरती से झटकती, त्यों-त्यों चारों ओर से दबाव बढ़ता ही चला गया। उसका तड़पना, छटपटाना भी काम न आया।

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समय से संवाद करती कविताएँ

कहीं वे एक वात्सल्य से भरे पिता की तरह दिखाई देते हैं तो कहीं एक जिम्मेवार पुत्र की तरह, कहीं एक सहज और सरल पति की तरह,

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शोध की जमीन पर लिखा गया उपन्यास

राष्ट्रीय गर्व के समानांतर यह राष्ट्रीय शर्म का विषय है–‘रुई लपेटी आग’ इसी दूसरे पक्ष पर केंद्रित उपन्यास है।

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