कवि शैलेन्द्र
शैलेन्द्र हिंदी के सबसे बड़े गीतकार हैं। ऐसा इसलिए कि भाषा की ऐसी सादगी, बहाव और लोच किसी दूसरे गीतकार में नहीं।
शैलेन्द्र हिंदी के सबसे बड़े गीतकार हैं। ऐसा इसलिए कि भाषा की ऐसी सादगी, बहाव और लोच किसी दूसरे गीतकार में नहीं।
‘आदमीयत’ को बचाए रखने के लिए साहित्य के प्रति रुचि का बढ़ना ज़रूरी है और इसकी कोशिश विद्यार्थी-जीवन से ही शुरू करनी होगी।
शर्ट-पैंट फाड़ने के बाद भीतरी वस्त्र भी नोच फेंके गए। शिल्पा ज्यों-ज्यों अपने गठीले बदन और मछलियों की-सी मांसपेशियों को फुरती से झटकती, त्यों-त्यों चारों ओर से दबाव बढ़ता ही चला गया। उसका तड़पना, छटपटाना भी काम न आया।
गोतिया-दियाद और टोलेवाले लाख कुढ़ते-चिढ़ते और विरोध करते रहे। खाना-पीना, सोना-बैठना आदि सभी हक बराबरी में उसे मिलना जारी रहा।
कहीं वे एक वात्सल्य से भरे पिता की तरह दिखाई देते हैं तो कहीं एक जिम्मेवार पुत्र की तरह, कहीं एक सहज और सरल पति की तरह,
राष्ट्रीय गर्व के समानांतर यह राष्ट्रीय शर्म का विषय है–‘रुई लपेटी आग’ इसी दूसरे पक्ष पर केंद्रित उपन्यास है।