पेड़
मिट्टी को मजबूती से पकड़े हैं पेड़ इतनी मजबूती से कि पानी का प्रचंड वेग भी उसे हिला तक नहीं पाता मिट्टी की भी उतनी ही रक्षा करता है पेड़ कटान को रोककर स्वयं की जितनी पेड़ की जड़ें
मिट्टी को मजबूती से पकड़े हैं पेड़ इतनी मजबूती से कि पानी का प्रचंड वेग भी उसे हिला तक नहीं पाता मिट्टी की भी उतनी ही रक्षा करता है पेड़ कटान को रोककर स्वयं की जितनी पेड़ की जड़ें
भूखे-प्यासे दो जून की रोटी का आँखों में सपना पाले वह सुबह से दोपहर तक नाचता रहा यह बोल सुनते हुए–‘तनख्वाह देते हैं काम तो करना ही पड़ेगा मर कर करे या जी कर।’
अगले ही पल, चिपकूआइन के चेहरे पर आड़ी-टेढ़ी चिंता की लकीरें लट्ठ की तरह से सीधी खड़ी हो गईं। गुस्से से मुँह लाल हो गया।
ना, इन फूलों पर न बनेगा मन-मधुकर मतवाला! अब न पियेगा स्वप्न-सुरभि– मदिरा का मादक प्याला!! काँटों में उलझा देना जीवन कितना सुंदर है!
‘मानसरोवर’ को नया रूप देने तथा नई उपलब्ध कहानियों को पाठकों तक पहुँचाने के संकल्प में ही ‘नया मानसरोवर’ के प्रकाशन का औचित्य छिपा है।
इस अस्पृश्यता के खिलाफ लड़ाई का विस्तार डॉ. अम्बेडकर ‘जाति का विनाश’ और ‘अंतरजातीय विवाह’ के पक्ष में करते हैं। बाद में जाति के विनाश के प्रक्षिप्त को वे खुद समझ जाते हैं, इधर अंतरजातीय विवाह और प्रेम विवाह से कैसे दलितों के घरों की तबाही हो रही है किसी से छुपा नहीं है।