रास्ता

पैर अशक्त हो चुके हैं आँखें निस्तेज और कंठ सूख गया है। दूरियाँ पाटे नहीं पट रही थीं। उसी रास्ते जब लौटना हुआ दुबारा-तिबारा फिर जाना हुआ दूरियाँ तीन सौ किलोमीटर की दो-एक किलोमीटर में सिमटने लगीं।

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हर कोई आगे निकलना चाहता है

हर कोई आगे निकलना चाहता है पीछे पीछे कौन चलना चाहता हैकब तलक घुटनों के बल रेंगे बताओ अब ये बच्चा उठ के चलना चाहता है

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ख़िजाँ के आते ही

ख़िजाँ के आते ही पत्तों ने साथ छोड़ दिया बुज़ुर्ग बाप का बच्चों ने साथ छोड़ दियाख़ुदा का शुक्र है ज़िंदा हैं हम अभी वरना बहुत से यारों का साँसों ने साथ छोड़ दिया

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वो जिसने

वो जिसने रात गले से मुझे लगाया था वो तुम नहीं थे तो क्या वो तुम्हारा साया थापतंग उसने मेरी छत पे ला के उलझा दी उसी में प्यार का पहला पयाम आया था

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सिगरेट

‘सिगरेट, सिगरेट के अलावा सिर्फ आधे अँधेरों में खोजा जा सकता है’ जहाँ हम जीने को रोककर बातें करने लगते हैं अपने से, अपनों से वहीं हवा का सिरहाना बनाकर सो जाते हैं

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जगह के पास

अपना लेती है हर बात को (तथ्यों की तरह) साहस देती है अपनाने का बालों में उँगलियाँ फिराकर सुलाती है यह ध्यान रखते हुए कि उसकी उँगलियाँ बालों में फँसे नहीं सदा के लिए सोने के बीच में वह रहस्य में से परेशानी का गट्ठर लेकर

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