श्यौराज सिंह बेचैन दलित दृष्टि के कहानीकार

समय के अनुसार कहानियाँ भी बदलती हैं और कहानी के पात्र भी बदलते हैं। कहानी की सार्थकता भी यही है। हर युग के भीतर संघर्ष की नई दिशाएँ, अनुभव का नया शेड, नया भाष्य भी होता है।

और जानेश्यौराज सिंह बेचैन दलित दृष्टि के कहानीकार

कविताओं में बालक

आज का बच्चा समस्याओं से जूझ रहा है। टूटते संयुक्त परिवारों ने बच्चों के सामने अनगिनत प्रश्न खड़े कर दिए हैं।

और जानेकविताओं में बालक