अज्ञेय के उपन्यासों में संस्कृती विमर्श

व्यक्ति के पास वरण की स्वतंत्रता नहीं होती। न तो वह अपने मुताबिक जीवन चुन सकता है और न ही मृत्यु। सेल्मा मृत्यु के करीब है, लेकिन फिर भी जीवन से भरी हुई है। जबकि योके युवती है,

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रेणुु की कहानियों में लोकभाषा

फणीश्वरनाथ रेणु का कथा-साहित्य लोक-जीवन की भीत्ति पर निर्मित है। लोक-जीवन का विविध रूप इनकी कहानियों में अभिव्यक्त हुआ है।

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राजनीती

तुमने कहा तुम खुली किताब हो और मैंने मान लिया तुमने कहा तुम झूठ नहीं बोलते और मैंने मान लिया पर जब मैंने कहा मैं आजाद पंछी हूँ

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बड़ी ढ़ीट होती है लड़कियाँ

बड़ी ढीठ होती हैं लड़कियाँ हर रिश्ते में रिसता जाता है इनका स्वाभिमान भींग जाती है वह समूची पर हार नहीं मानती।

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व्रात्य सभ्यता और अंगिका

अंग देश में एक सभ्यता का जन्म हुआ, जिसे अपने व्रात्यकांड में अथर्ववेद ने व्रात्य सभ्यता के नाम से चिह्नित किया।

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