आत्मिक बंधन
जिद्दी पत्नी नहीं मानेगी। वह स्वयं बर्दाश्त कर सकती है पर उन्हें कष्ट हो यह श्रीमती जी को बर्दाश्त नहीं!
जिद्दी पत्नी नहीं मानेगी। वह स्वयं बर्दाश्त कर सकती है पर उन्हें कष्ट हो यह श्रीमती जी को बर्दाश्त नहीं!
मैं बहुत खुश हूँ। आगे भी पढ़ाई जारी रखना। तुम मेधावी एवं मेहनती छात्रा हो, पढ़-लिख जाओगी तो जीवन बन जाएगा।
ऊपर से नीचे आने में बहुत दुःख होता है, क्यों न जमीन से ही जुड़े रहो, यहाँ गिरने का खतरा नहीं।
मैं विकलांग होकर जीवन चला सकता हूँ, तो तुम पढ़ी-लिखी एवं सर्वांग होते हुए भी अपना जीवन क्यों नहीं चला सकती?
लेन-देन की बात क्या करूँगा! मैं तो चाहता हूँ कि मेरा बेटा आप ले लें और अपना बेटा मुझे दे दें।
पापा! अगर मैं अपने पैरों पर खड़ा नहीं भी हो सका हूँ तो क्या! वह तो अपने पैरों पर खड़ी है