यहीं पास कोई नदी गा रही है
ग़ज़ब की कशिश है सदाओं में उसकी मुझे दूर मुझ से लिए जा रही हैमैं देखूँ कि उसको सुनूँ शब ढले तक सरापा ग़ज़ल ख़ुद ग़ज़ल गा रही है
ग़ज़ब की कशिश है सदाओं में उसकी मुझे दूर मुझ से लिए जा रही हैमैं देखूँ कि उसको सुनूँ शब ढले तक सरापा ग़ज़ल ख़ुद ग़ज़ल गा रही है
सबकी सब अपने शहर और गाँव के नाम या फलाँ की माँ, फलाँ की दादी फलाँ की पत्नी इन्द्राज थी इस तरह सब भूलती रही अपना नाम
‘हमें कठिन हालात में भी बहुत अच्छा करना होगा। क्योंकि हमसे कई लोगों की उम्मीदें जुड़ी हैं। अगर हम भटक गए तो हमारी एक और पीढ़ी गरीबी और मुफलिसी में तिल-तिल तड़पने को मजबूर हो जाएँगे।’
अघोरिया काली-काली आँखों से उसके क्रियाकलापों और वन विभाग के पदाधिकारी को देख रही थी। वह वापस लौट आई और फिर नृत्य करने लगी।
इस स्वतंत्रता की रक्षा करना हमारा परम कर्तव्य है, यह महत्वपूर्ण तथा कठिन कार्य है। हमें इसके लिए बहुत कुछ करना है।
पहला संस्करण जल्दी ही प्रेस में भेजना है। बदहवास-सा वह घर पर फोन पर हिदायत दे रहा था। वह बार-बार प्रेस को बता रहा था कि जितनी जल्दी मशीन चालू हो सके कर दो।