वे दोनों लड़कियाँ
साथ-साथ रहती हैं वे दोनों लड़कियाँ दो विपरीत घरानों में पैदा होकर भी एक मालकिन दूसरी नौकरानी की दोनों पढ़ती हैं साथ-साथ एक ही क्लास में दोनों का सोच एक, चिंतन एक दोनों मेधावी, व्यवहार-कुशल
साथ-साथ रहती हैं वे दोनों लड़कियाँ दो विपरीत घरानों में पैदा होकर भी एक मालकिन दूसरी नौकरानी की दोनों पढ़ती हैं साथ-साथ एक ही क्लास में दोनों का सोच एक, चिंतन एक दोनों मेधावी, व्यवहार-कुशल
उड़िया-बंगला के लेखकों को किसी क्षेत्र के सामाजिक-सांस्कृतिक जीवन के गढ़ने-रचने की प्रेरणा पर्ल बक से मिली, ऐसा माना जाता है। उन्नीसवीं शती के आरंभ में अँग्रेजी, रूसी, फ्रांसीसी आदि भाषाओं के लेखक अपने-अपने क्षेत्र के देशकाल का सामाजिक-सांस्कृतिक आख्यान प्रस्तुत कर रहे थे।
मैं हूँ और तुम भी मेघ हैं और समंदर भी पहाड़ है और समतल भी... होगी तो जरूर कहीं न कहीं ऐसी भाषा भी जिसमें रोना चाहता हूँ मनुष्य की तरह मनचाही देर तक।
कैसे हैं ये जख्म इन कविताओं के जो बहुत ऊँचा उठ नफरतों से, द्वेषों से उठाए हाथ बस कर रहे हैं पाठ... शांतिः शांतिः शांतिः ।
‘तुम्हें गलत साबित करना है उन सबको जो कहते हैं कि धीमी-धीमी आँच में ही लड़कियाँ सीझ जाती हैं तेज आँच की गंध उन्हें पसंद नहीं।’
यह पुस्तक हिंदी हास्य-व्यंग्य क्षेत्र को सुगठित करने का विचारपरक प्रयास है। एक विस्तृत विषयफलक को समेटते हुए भी कोश निर्माण के मूलभूत सिद्धांतों का पूर्ण रूप से तिवारी जी ने अनुसरण किया है। प्रत्येक अध्याय में लेखक या कृति के आद्याक्षर के रूप में सूची का निर्माण किया गया है। क्रम संख्या, पृष्ठ संख्या, प्रकाशन काल, प्रकाशन केंद्र, विधा आदि पर पूरी सावधानी के साथ कार्य संपन्न किया गया है।