दरार

गरिमा ने कॉलिज से छुट्टी ले ली थी। एक दिन की छुट्टी। वह बड़ी उलझन में थी और बार-बार मुस्कराकर रह जाती। कैसे बताएगी सबको कि उसकी शादी हो रही है। बात पक्की हो चुकी है। आज लड़के की... वह सोचते-सोचते मुस्कराई, लड़के की, यानी विकास की माँ, उसकी बहन, उसकी भाभी... सभी आए थे

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काढ़ती है रोशनी

साँझ होते क्रोशिया सेकाढ़ती है रोशनीखुशबुओं के फूल पहनेगाती हैं अंगुलियाँ।हरी चादर में लिपटकरसो रहे हैं बाध-वनतितलियाँ लाई

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कहानी लिखने की वजह

कहानीकारों की चिंता के सरोकार ही कहानी लिखने की वजह बनते हैं। वजह एक नहीं अनेक हैं, किंतु आज आपसे जिस वजह की चर्चा करूँगा वह यह नहीं है कि कहानी मानवता की रक्षा के लिए लिखी जाती रही है,

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रेवती

दो पन्नों की चिट्ठी में लगभग एक ही जैसी बात, बार-बार घुमा-फिरा कर, लिखी रहती। पढ़कर ऐसा लगता था जैसे किसी ने कपूर की डली पर लपेटा हुआ कागज खोल कर सामने रख दिया हो। यादों की सुगंध से मन सुवासित हो उठता।

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मधुकर सिंह की कहानियाँ

किसान, मजदूर, दलित, शोषित, वंचित आमजन के दुख-दर्द को, उनके संघर्ष को अपनी कहानियों का विषय बनाने वाले सुप्रसिद्ध कथाकार मधुकर सिंह की रचनाओं में उनके प्रति गहरी संवेदना है, इसलिए लेखन के साथ ही उन्होंने उन संघर्षों में भागीदारी भी की।

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नेहपाश

एकांत प्रहर में अकसर मेरे भीतर कला खदबदा तीस्वप्न कुलबुलाते नूतन कल्पनाएँ लेकर किसी श्वेत, मूक कागज़ कोकला रेखाओं से भरना

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